Wednesday, October 27, 2010

Ancient History of Kashmir

Ancient History of Kashmir
कश्मीर का प्राचीन इतिहास


रह रह कर देश के दुश्मन हैं फुंफकार मारते ,
रह रह कर है कुछ देश द्रोही चीखते चिल्लाते 
कश्मीर किसका हैं ? कौन उसका है मालिक ?
अफ़सोस
है नहीं उनको मालूम कश्मीर की सत्य कथा !!
यह सत्य कथा है १००  से १५० सदियाँ  पुरानी ,
वेद,  पुराण,  है सब इसका यश गाते गिनाते ,
अफ़सोस
है नहीं उनको मालूम कश्मीर की   गौरव गाथा  !!


अरे वर्ण संकर की औलादों,
अगर इतिहास का ज्ञान नहीं तो क्यों नहीं पढते,
अगर धर्मं का ज्ञान नहीं ,
 तो क्यों नहीं  उच्च शिक्षा पाते 
अरे ओ  अधर्मी जातियों  की औलादों ,
कश्मीर घाटी में देवों ने बीज बोया था  सनातन धर्म का,
कश्मीर से ही फैला था, 
सनातन धर्म दुनिया के हर कौने  में 


कश्मीर में है आज भी सारे देवों के घाट व राजगृह ,
ज्वाला, शारिका व राग्न्या का 
शंखनाद है आज भी उदघोष करता

शिव पारवती है विचरते ,
आज भी वहां के वन उपवन में,
राधे कृष्ण की रास लीला का,
 मधुर श्रवन क्या असुर करेंगे ,
गणपति की नृत्य क्रीडाओं का ,
 अनुभव शैतान क्या करेंगे ??


बुद्धिहीन राक्षसों तुम क्या जानो,
शारदा देवी का है मूल स्थान
शारदा लिपि का है वहां ज्ञान स्तोत्र ,
जग की पहली "शारदा विश्व विद्यालय" का,
 कश्मीर में है विशाल प्रांगन 
कश्मीर घाटी ही में  है वह निर्मल स्थल ,
जहाँ राम ने भेजा था हनुमान के साथ ,
इन्द्राक्षी भगवती को श्री लंका से ,
यह कहकर कि , कलियुग में, 
 वह फ़िर अव्तार लेंगे उनसे मिलने,
जिस राम ने दुश्मुख रावण को न छोड़ा था ,
वह क्या बक्षेंगे कदापि ,
तुम्हारे जीवन पर्यंत कुकर्मों को 


कुकर्मी असुरों कि संतानों ,
कश्मीर में ही है
५२ भैरवों और ६४ योगिनियों की मायास्थ्ली 
दुर्गा, भद्रकाली, उमा, ज्येष्ठा, कुल्वागेश्वरी की है बाड़ी ,
महाकाली, महा भैरव, अमरनाथ के पावन धाम पर,
 असुरों का  है  क्या का 
हरमुख गंगा , गुप्त गंगा , वेरीनाग , त व्येतस्ता ,
आज भी  है वहां पर कल कल बहती ,
संगम है जहाँ सनातन धर्मं के तीर्थों का ,
दिव्य ज्ञान जहा पाया था ,
 कश्यप ऋषि, शंकराचार्य व विवेकानंद ने ,
अनेक संतों ने अपनी वाणी से ,
किया पावन कश्मीर कि भूमि  को ॥


असुरों कि जातियों को आज देते है चेतावनी ,
क्या कर रहे हो वहां रहकर ,
क्यों इंतजार करते हो अपने उस भयभीत  अंत का ,
क्यों खुद  बुलावा दे रहे हो अपनी कयामत को ?


तुम्हारा क्या है मुकाबला ~
महिषासुर, जालंधर, शुम्ब-निशुम्ब व मधुकैट्म्भ से ,
रक्त बीज न कर सका बाल बांका जिस प्रचंड देवी का ,
उसके क्रोध कि एक चिंगारी ही काफी है ,
तुम्हारी पूरी जाती को नष्ट करने के लिए 


अज्ञानी असुरों ,
अभी भी समय है मत गँवावो व्यर्थ यह जीवन
गिलानी और यासीन मालिक कि बातों में ,
पाकिस्तान का तो अंत निश्चित है ही ,
सुधर जाओ, सुधर जाओ, सुधर जाओ !


शेख अब्दुल्लाह की बिगड़ी  संतानों ,
फिर न कहना कि तुम अज्ञानी थे !
शिव शक्ति के क्रोध का नहीं है कोई अचूक यन्त्र ,
जो कि काम करे सम्पूर्ण अभेद कवच का !!


फिर न कहना कि तुम अज्ञानी थे ,
कश्मीर किसका हैं , कौन उसका है मालिक !!
यह सत्य कथा है १००  से १५० सदियाँ  पुरानी ,
वेद  , पुराण , है सब इसका यश गाते गिनाते ,


अफ़सोस

है नहीं उनको मालूम,

 श्मीर की  यह गौरव गाथा  !!!!!




इन्दर कृष्ण वली






कश्मीर कि पावन भूमि का शंखनाद है आज भी उदघोष करता 


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