कश्मीर का प्राचीन इतिहास
रह रह कर देश के दुश्मन हैं फुंफकार मारते ,
रह रह कर है कुछ देश द्रोही चीखते चिल्लाते ।
कश्मीर किसका हैं ? कौन उसका है मालिक ?
अफ़सोस ,
है नहीं उनको मालूम कश्मीर की सत्य कथा !!
यह सत्य कथा है १०० से १५० सदियाँ पुरानी ,
वेद, पुराण, है सब इसका यश गाते गिनाते ,
अफ़सोस ,
है नहीं उनको मालूम कश्मीर की गौरव गाथा !!
अरे वर्ण संकर की औलादों,
अगर इतिहास का ज्ञान नहीं तो क्यों नहीं पढते,
अगर धर्मं का ज्ञान नहीं ,
तो क्यों नहीं उच्च शिक्षा पाते ।
अरे ओ अधर्मी जातियों की औलादों ,
कश्मीर घाटी में देवों ने बीज बोया था सनातन धर्म का,
कश्मीर से ही फैला था,
सनातन धर्म दुनिया के हर कौने में ॥
कश्मीर में है आज भी सारे देवों के घाट व राजगृह ,
ज्वाला, शारिका व राग्न्या का
शंखनाद है आज भी उदघोष करता
।शिव पारवती है विचरते ,
आज भी वहां के वन उपवन में,
राधे कृष्ण की रास लीला का,
मधुर श्रवन क्या असुर करेंगे ,
गणपति की नृत्य क्रीडाओं का ,
अनुभव शैतान क्या करेंगे ॥??
बुद्धिहीन राक्षसों तुम क्या जानो,
शारदा देवी का है मूल स्थान ,
शारदा लिपि का है वहां ज्ञान स्तोत्र ,
जग की पहली "शारदा विश्व विद्यालय" का,
कश्मीर में है विशाल प्रांगन ।
कश्मीर घाटी ही में है वह निर्मल स्थल ,
जहाँ राम ने भेजा था हनुमान के साथ ,
इन्द्राक्षी भगवती को श्री लंका से ,
यह कहकर कि , कलियुग में,
वह फ़िर अव्तार लेंगे उनसे मिलने,
जिस राम ने दुश्मुख रावण’ को न छोड़ा था ,
वह क्या बक्षेंगे कदापि ,
तुम्हारे जीवन पर्यंत कुकर्मों को ॥
कुकर्मी असुरों कि संतानों ,
कश्मीर में ही है,
५२ भैरवों और ६४ योगिनियों की मायास्थ्ली ।
दुर्गा, भद्रकाली, उमा, ज्येष्ठा, कुल्वागेश्वरी की है बाड़ी ,
महाकाली, महा भैरव, अमरनाथ के पावन धाम पर,
असुरों का है क्या काम ॥
हरमुख गंगा , गुप्त गंगा , वेरीनाग , त व्येतस्ता ,
आज भी है वहां पर कल कल बहती ,
संगम है जहाँ सनातन धर्मं के तीर्थों का ,
दिव्य ज्ञान जहा पाया था ,
कश्यप ऋषि, शंकराचार्य व विवेकानंद ने ,
अनेक संतों ने अपनी वाणी से ,
किया पावन कश्मीर कि भूमि को ॥
असुरों कि जातियों को आज देते है चेतावनी ,
क्या कर रहे हो वहां रहकर ,
क्यों इंतजार करते हो अपने उस भयभीत अंत का ,
क्यों खुद बुलावा दे रहे हो अपनी कयामत को ?
तुम्हारा क्या है मुकाबला ~
महिषासुर, जालंधर, शुम्ब-निशुम्ब व मधुकैट्म्भ से ,
रक्त बीज न कर सका बाल बांका जिस प्रचंड देवी का ,
उसके क्रोध कि एक चिंगारी ही काफी है ,
तुम्हारी पूरी जाती को नष्ट करने के लिए ॥
अज्ञानी असुरों ,
अभी भी समय है मत गँवावो व्यर्थ यह जीवन
गिलानी और यासीन मालिक कि बातों में ,
पाकिस्तान का तो अंत निश्चित है ही ,
सुधर जाओ, सुधर जाओ, सुधर जाओ !
शेख अब्दुल्लाह की बिगड़ी संतानों ,
फिर न कहना कि तुम अज्ञानी थे !
शिव शक्ति के क्रोध का नहीं है कोई अचूक यन्त्र ,
जो कि काम करे सम्पूर्ण अभेद कवच का !!
फिर न कहना कि तुम अज्ञानी थे ,
कश्मीर किसका हैं , कौन उसका है मालिक ॥!!॥
यह सत्य कथा है १०० से १५० सदियाँ पुरानी ,
वेद , पुराण , है सब इसका यश गाते गिनाते ,
अफ़सोस ,
है नहीं उनको मालूम,
कश्मीर की यह गौरव गाथा !!!!!
~ इन्दर कृष्ण वली
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